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नई दिल्ली: बीते साल बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। लेकिन मंगलवार देर रात मायावती ने इन दोनों महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से आकाश आनंद को मुक्त कर दिया। उन्होंने इसकी जानकारी सोशल मीडिया के जरिए दी। यूपी में ताबड़तोड़ 10 रैलियां करके आकाश आनंद चर्चा में आए थे। उधर मायावती के इस फैसले के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। लोकसभा चुनाव के बीच मायावती का फैसला काफी चौंकाने वाला है। अचानक मायावती ने इतना बड़ा फैसला क्यों किया? इस फैसले के पीछे असली वजह क्या है? ऐसे कई सवाल खड़े हो गए हैं। आइए समझने को कोशिश करते हैं कि मायावती को अपने भतीजे आकाश आनंद में अचानक परिपक्वता (मैचुरिटी) की कमी क्यों लगी।आकाश आनंद मायावती के भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। मायावती ने आकाश आनंद को हटाने की सूचना एक्स पर दी। मायावती ने आकाश आनंद में परिपक्वता (मैचुरिटी) का अभाव बताया है। आकाश के पिता आनंद कुमार अपनी जिम्मेदारी पहले की तरह निभाते रहेंगे। मायावती ने तर्क दिया है कि बीएसपी बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के आत्म सम्मान और स्वाभिमान को बनाए रखने और सामाजिक परिवर्तन के लिए काम कर रही है। मायावती ने यह भी कहा है कि बाबा साहेब के कारवां को आगे बढ़ाने के लिए बसपा हर तरह का त्याग और कुर्बानी देने को तैयार है।
(इनपुट-एजेंसियां)
आकाश से उत्तराधिकार वापस लेने की सबसे बड़ी वजह क्या?
सीतापुर में एक चुनावी रैली में आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में बसपा प्रमुख मायावती के भतीजे आकाश आनंद और चार अन्य के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया था। पुलिस के मुताबिक, जिला प्रशासन द्वारा दिन की शुरुआत में रैली में आनन्द के भाषण का स्वत: संज्ञान लेने के बाद यह कार्रवाई की गई। बसपा नेता ने अपने भाषण में कहा था, 'यह सरकार बुलडोजर सरकार और गद्दारों की सरकार है। जो पार्टी अपने युवाओं को भूखा छोड़ती है और बुजुर्गों को गुलाम बनाती है वह आतंकवादी सरकार है।' प्राथमिकी दर्ज होने के बाद बसपा ने बिना कोई कारण बताए पिछले दिनों आकाश आनन्द की सभी प्रस्तावित रैलियों को स्थगित कर दिया था। आकाश आनंद ने 6 अप्रैल को नगीना लोकसभा सीट से अपनी पार्टी का अभियान शुरू किया था। बाद में, उन्होंने आगरा, बुलंदशहर, मथुरा, वाराणसी, गोरखपुर, अंबेडकर नगर, आजमगढ़ और कौशांबी सहित पश्चिम और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई रैलियों को संबोधित किया।आकाश आनंद को बीएसपी का स्टैंड क्लीयर करना महंगा पड़ा?
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए कांग्रेस समेत कुछ अहम विपक्षी दलों ने बीते साल इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। इंडिया गठबंधन में अधिकांश राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हैं। लेकिन बीएसपी ने इंडिया गठबंधन से आखिर तक दूरी बनाई रखी। साथ ही एनडीए में शामिल होने से भी इनकार किया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मायावती एनडीए और इंडिया एलायंस के बीच बीएसपी को स्थिर रखकर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही थीं। मायावती ने कभी भी बीजेपी के खिलाफ मुखर होकर कोई बयान नहीं दिया। वहीं इस बीच बीएसपी के इंडिया एलायंस में जाने की अटकलें भी बीच-बीच में तेज होती रहीं। मायावती बैलेंस पॉलिटिक्स करके हवा का रुख भांपने की कोशिश में लगी थीं। लेकिन इस बीच आकाश आनंद की एंट्री होती है और वह बीएसपी की रैलियों में बीजेपी के खिलाफ मुखर हो जाते हैं। आकाश आनंद का बीजेपी के खिलाफ तीखा रुख मायावती की रणनीति को प्रभावित कर रहा था। आकाश आनंद बीजेपी का स्टैंड क्लीयर करके मायावती की रणनीति पर पानी फेरने लगे थे। शायद यही वजह है कि मायावती ने आकाश आनंद को पूर्ण परिपक्व न होने तक अहम पदों की जिम्मेदारी से हटा दिया है।कौन हैं आकाश आनंद?
आकाश आनंद बसपा प्रमुख मायावती के भतीजे हैं। आकाश आनंद 28 साल के हैं। उनकी शुरुआती शिक्षा नोएडा में हुई और फिर लंदन से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। बीते साल मार्च में मायावती ने उनकी शादी बहुत धूमधाम से की थी। पार्टी के ही वरिष्ठ नेता अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा उनकी पत्नी हैं। आकाश पहली बार 2017 में सार्वजनिक मंचों पर नजर आए। सबसे पहली बार उनको मायावती के साथ सहारनपुर में एक सभा के दौरान देखा गया। उसके बाद मायावती ने लखनऊ में एक बैठक के दौरान उनका परिचय कराया था। इसके बाद से आकाश आनंद का कद पार्टी में धीरे-धीरे बढ़ता गया।(इनपुट-एजेंसियां)
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